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Basti News:पराली जलाने की घटनाओं को सैटेलाइट ने पकड़ा – Satellite Caught Incidents Of Stubble Burning

स्थानीय स्तर पर घटना रोकने की नहीं है कोई व्यवस्था

करीब 15 दिन से खराब है जिले के हवा की गुणवत्ता

संवाद न्यूज एजेंसी

बस्ती। पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर कोई तैयारी नहीं है। अब तक जिले में 36 घटनाएं हो चुकी हैं। सभी घटनाओं को सैटेलाइट ने पकड़ा है। इसमें कृषि विभाग का कोई योगदान नहीं है। घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर कोई व्यवस्था न होने से घड़ल्ले से पराली जलाई जा रही है।

जिले में पांच नवंबर के बाद से हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। 11 से 15 नवंबर तक एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स ) 160 से 170 के बीच बना हुआ था। शनिवार को 12 बजे से पहले एक्यूआई 120 और शाम पांच बजे 109 दर्ज किया गया। पराली जलाने के कारण हवा प्रदूषित हो रही है। केंद्र सरकार ने सैटेलाइट से खीचीं गई इमेज का बुलेटिन जारी करती है। इस बुलेटिन में अक्षांश व देशांतर रेखा के समानांतर पराली जलाने वाले जगह का उल्लेख होता है। इसमें अक्षांश रेखा के कितने डिग्री और मिनट पर पराली जलाई गई है, इसका उल्लेख होता है।

इसके आधार पर विभाग कर्मियों के माध्यम से जांच कराकर कार्रवाई करता है। घटनाओं को रोकने लिए विभाग इस बार न्याय पंचायत, ब्लॉक व जिला स्तरीय गोष्ठी, प्रचार वाहन आदि का सहारा ले चुका है। इसके बावजूद घटनाएं कम नहीं हो रही हैं।

शिवहर्ष किसान पीपी कॉलज के मुख्य नियंता डॉ. डॉ. शिवेंद्र मोहन पांडेय ने बताया कि पराली जलाने से प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। यह बात अन्नदाताओं को समझनी होगी। किसानों को पर्यावरण का प्रहरी माना जाता है। उन्हें खुद आगे आकर पराली जलाने की घटनाओं को रोकने का प्रयास करना होगा, वरना स्थिति और भी भयावह होगी।

नवोन्मेषी पुरस्कार प्राप्त किसान राम मूर्ति मिश्रा का कहना है कि हवा में प्रदूषण की मात्रा बिना किसानों के सहयोग के नहीं कम की जा सकती है। अब बाजार में तमाम प्रकार के वेस्ट डीकंपोजर आ गए हैं, जिनकी मदद से पराली से कार्बनिक खाद तैयार की जा सकती है। इसमें थोड़ी मेहनत जरूर है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण के लिए ऐसे कदम उठाने जाने जरूरत है।

कोट

किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। निशुल्क वेस्ट डीकंपोजर का वितरण कर पराली से कार्बनिक खाद बनाने का तरीका किसानों को बताया जा रहा है।

-अशोक गौतम, उप निदेशक कृषि

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